राजनांदगांव। शासकीय शिवनाथ विज्ञान महाविद्यालय राजनांदगांव में दिनांक 22.03.2022 को डॉ. निर्मला उमरे, संस्था प्राचार्य के मार्गदर्शन में प्राणीविज्ञान व वनस्पति विभाग के संयुक्त तत्वाधान में पर्यावरण जागरूकता अभियान के तहत ‘‘जल दिवस’’ मनाया गया। डॉ. निर्मला उमरे प्रचार्य ने कहा कि पहले लोकहित में बाबड़ी, जलाशय, तालाब, सरोवर, जलस्त्रोत सुनियोजित व सुव्यवस्थित तरीके से बनाये गये थे जिससे भरपूर पानी मिलता रहे। आज पूरा विश्व जल संकट से ग्रस्त है वर्षाजल को जमा करना अनिवार्य है, सैकड़ों लीटर बारिश का जल बह जाता है, जल ही जीवन है, जीवन आज जल रहा है, जल रहे जीवन को बुझाने के लिये शीतल जल की जरूरत है। डॉ. एस.आर. कन्नोजे, प्राणीविज्ञान ने कहा कि भारत में दुनिया की अन्य देशों से ज्यादा होती है, यह वर्ष लगभग 40 खरब क्यूबिक मीटर वर्षाजल प्राप्त होता है। यद्धपि उस जल का केवल एक तिहाई भाग ही उपयोग होता है। उपलब्ध सतही जल का 70 प्रतिशत भाग पूरी तरह से प्रदूषित हो चुका है।


डॉ. स्वाति तिवारी, वनस्पति विज्ञान विभाग ने कहा कि आने वाले वर्षों में जनसंख्या में बढ़ोतरी, औद्योगिक विकास, अन्न उत्पादन में वृद्धि रहन सहन के स्तर एवं उपयोग में वृद्धि की वजह से पानी की जरूरत बढ़ेगी। जल संचयन के साथ-साथ जल के पुनः उपयोग, पर्यावरण सुधार व पानी के बरबादी को रोकने की महती आवश्यकता है, वर्षा जल को इक्ठ्ठा करने के लिए हजारांे बांध व तालाब बनाने होंगे। डॉ. नागरत्ना गनवीर राजनीति विज्ञान विभाग ने कहा कि कम पानी लगने वाली, जल्दी तैयार होने वाली फसलों को चुना जाना चाहिए, ड्रिप सिंचाई पद्धति खेतों में पानी की पर्याप्त बचत कर सकती है। उपलब्ध पानी को रिसाईक्लिंग करने तथा संग्रहित पानी के वाष्पीकरण को रोकने के तरीकों को अपनने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त अधिकारी, कर्मचारी व अधिक संख्या में विद्यार्थीगण उपस्थित रहें।

शिवनाथ साइंस कॉलेज में ‘‘जल दिवस’’ मनाया गया – प्राणीविज्ञान व वनस्पति विज्ञान विभाग के तत्वाधान में
Date: 16-06-2022
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