राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजनांदगांव में दिनांक 19 व 21 फरवरी 2022 को प्राणी विज्ञान विभाग द्वारा डॉ. के.एल. टाण्डेकर, प्राचार्य के मार्गदर्शन मंे ए डॉ. एस.आर.कन्नोजे, सहायक प्राध्यापक प्राणीविज्ञान, शास. शिवनाथ विज्ञान महाविद्यालय, राजनांदगांव का पर्यावरण संरक्षण के तहत अतिथि व्याख्यान विषय पर्यावरण प्रदूषण का जलीय जीवन पर प्रभाव तथा पर्यावरणीय बदलाव का जैव विविधता पर प्रभाव आयोजित किया गया, डॉ. कन्नोजे ने कहा कि जल प्रदूषण, जल में घुलित लवणों जैसे-क्लोराइड, कार्बोनेट, बाइकार्बोनेट, सोडियम, पोटेशियम, मैग्निशियम के सल्फेट के अलावा अमोनिया, सल्फर के ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड व कार्बन डाइऑक्साइड व औद्योगिक अपशिष्टों के जल में घुलने के कारण होता है। उद्योगों से प्रदूषणकारी पदार्थों के निकलने, समुद्र की सतह पर तेल के फैलने, समुद्र में किये गये परमाणु विस्फोट के कारण अनेक जीव जन्तु मारे जा रहे हैं, यही मछलियों के मरने के प्रमुख कारण है।

सामान्य स्थिति में पृथ्वी की सतह का तापमान उस पर पड़ने वाली सौर ऊर्जा एवं पृथ्वी द्वारा परावर्तित सौर ऊर्जा के द्वारा नियंत्रित किया जाता है। जब ब्व्2 की वातावरण सान्द्रता बढ़ जाती है तो पृथ्वी से उत्सर्जित ऊर्जा बाहर नहीं जा पाती जिसके कारण पृथ्वी का तापमान बड़ जाता है, इसे ग्लोबल वार्मिंग कहते है या हरित गृह प्रभाव के नाम से जानते है। वैज्ञानिकों के अनुसार अगली सदी के अंत तक पृथ्वी का तापमान 3 से 5 सेन्टीग्रेट बढ़ने की संभावना है। इस प्रभाव से जलवायु में परिर्वतन, ध्रुवों पर बर्फ पिघलना, वनों पर प्रभाव, मानसून में अधिक बाढ़ आना अवश्यंभावी है। यदि हमें इनसे बचना है तो वायुऊर्जा, सौरऊर्जा, बायो गैस ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ानी होगी।

इस अवसर पर पर डॉ. उषा ठाकुर विभागाध्यक्ष, डॉ. किरण लता दामले, डॉ. संजय ठिसके, डॉ. माजिद अली व अधिक संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहें।

पेड़ पौधे तथा जीव जन्तु धरती के श्रृंगार हैं- डॉ. कन्नोजे
Date: 16-06-2022
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