"ऐसी बाणी बोलिये, मन का आपा खोइ। अपना तन सीतल करै, औरन कौ सुख होई।।" - संत कबीरदास

भाषा अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है मानव जीवन में अथ से इति तक भाषा की महत्ता व्याप्त है। जीवन का कोई भी पल ऐसा नहीं जब हम भाषाहीनता की स्थिति में जीते हैं। वस्तुतः भाषा मानव से मानव को जोड़ती है, भाषा मानवीय संबंधों की निर्धारिका है। भाषा के जन्म से लेकर आज तक जैसे-जैसे व्यक्ति बदला है भाषा में भी सतत विकास हुआ है।
संस्कृत < पालि < प्राकृत < अपभ्रंश < हिन्दी

भारतीय संविधान सभा ने लंबी चर्चा के बाद 14 सितम्बर, 1949 ई. को हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया।

हिन्दी भाषा एवं साहित्य की अध्ययन – 

* स्नातक स्तर पर आधार पाठ्यक्रम हिन्दी भाषा: 1986
* हिन्दी साहित्य (बी.ए.): सत्र 2020-21

दृष्टि 

* साहित्य के माध्यम से मानवीय मूल्यों का विकास करना 
* हिन्दी भाषा संबंधी कौशल का विकास करना 
* विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों का विकास करना 
* विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी हेतु समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना

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